Chandra Yatra

जनता में एक दिन भई मचा हुआ था शोर 
भारत भी लो अब चला, चला चाँद की ओर। 
गोरमेंट ने ध्यान दे, बनाई थी इस्कीम, 

चाँद जाने के लिये , चुनी गई थी टीम। 

कई एक धरना दिए गए, बंध भूक हड़ताल, 
हर इस्टेट में मचा रहा भई  महिनों तक बवाल ।
आख़िर में पूरब में बना इंडिया का राकिट बेस 

काम तब शुरू हुआ जब पूजा हुई गनेस। 

भारत का था धन सारा, भारत की तकनीकी, 
थोड़ा विज्ञान, थोड़ा अज्ञान और बाकी राजनीति। 
जैसे तैसे कर के बन गया चन्दर यान, 

(सच मानो तो लगता था जैसे कोई कबाड़ी दुकान) 

साम्प्रदायिक कारणवश चुने गए यात्री चार 
और भाषा के बेसिस पर थे चालीस उम्मीदवार 
उत्तर , दक्खिन, पश्चिम से भी लिये गए प्रतिनिधि, 

एक दो पुल से चुने गए जो थे मिनिस्टर संबंधी। 

कुल मिला कर इस तरह भई भारतनॉट थे सौ। 
लेकिन यान में जा सकते थे केवल यात्री दो। 
अन्त में किसी तरह टॉस कर के निपटारा हुआ, 

जय जवान, जय किसान, इस तरह का नारा हुआ। 

सब को आमंत्रण के दिये गए थे पत्र, 
प्रेस, मिनिस्टर, वी आई पी, यत्र तत्र सर्वत्र। 
वैज्ञानिकों के लिए  पर बची न कोई सीट, 

दूर से वो देख रहे हैं, यान से कोसों फ़ीट। 

राष्ट्रपति जी ने आकर किया बहुत आभार, 
यात्रियों की आरती भई उतरी बारंबार। 
सारी जनता उमड़ पड़ी भई, मजमा है या कोई मेला

भेलपुरी और गोगप्पे भी, और एक चाट का ठेला।

सौ फुट दूर खड़ा चंद्रयान सबको लगे सजीला 
उस पर लिखा भारत भी अच्छे से सब को दीखा। 
है जनता उस पर लिखे शब्दों में तल्लीन, 

भारत के नीचे लिखा है भैया “हमारे दो या तीन” ।

पंडितों ने पत्री से शुभ मुहूर्त निकाला 
राष्ट्रपति ने एक नारियल यान पर दे मारा, 
यान के यूं नामकरण से टूट गयी उसकी तल्ली, 

जल्दी उसे जोड़ा गया, लगा लगा कर बल्ली। 

सब कुछ आखिर ठीक हो गया। 
(विदाई गीत से हर कोई रो गया) 
जाने का जब समय निकट आ गया 

प्रश्न तभी एक विकट आ गया। 

यान में तो है नहीं हाय राम कोई इंजन! 
बोर होगए एकत्रित सब जनता और जनार्दन! 
जांच की एक कमेटी ने कई सालों बाद बताया, 

कारण है भई सीधा सादा, उत्तर रटा रटाया। 

मालगाड़ी इंजन ले इस्टेशन न आ पाई 
क्योंकि सारे वी आई पी ने ट्रेनें बुक कराई 
अब एक नया दिन, नया मुहूरत खोजना है 
इस साल नहीं तो अगले साल, नहीं तो अगली योजना है! 
(This was written in 1969, shortly after the US moon landing.)

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